Monday 27 March 2017

"अपना काम करने में शर्म कैसी"

अखिलेश बाबू बोल रहे थे - " हमें नहीं पता था कि ये अफसर भी झाडू लगा लेते हैं, नहीं तो मै भी इनसे खूब झाडू लगवाता"

अरे अखिलेश बाबू ये जो आपके अफसर हैं न इनमे से बहुतों ने मुख़र्जी नगर, नेहरू विहार, गाँधी विहार, परमानन्द, ढक्का गांव, करोल बाग़, राजिंदर नगर और इलाहाबाद कि तंग गलियों में छोटे छोटे कमरो में ज़िन्दगी गुज़ारी है. ये झाड़ू लगाने का काम तो इन्हें बखूबी आता है. शायद आपने ही आज तक अपने जीवन में कभी झाडू को हाँथ नहीं लगाया होगा. तभी आप झाड़ू लगाने के काम को इतना हेय और घृणित समझते हैं. क्या आपको पता है गाँधी जी अपने कमरे में खुद झाड़ू लगाते थे और उन्हें इस बात कि कभी शर्म नहीं महसूस हुई. वो तो यहाँ तक कहते थे कि "अपना काम करने में शर्म कैसी" और "स्वच्छता में ही भगवान् का वास होता है"

रोज झाड़ू लगाने से पद, प्रतिष्ठा, सम्मान से उत्पन्न होने वाला अहंकार ख़त्म हो जाता है. आप भी घर में और आस पास रोज झाड़ू लगाना शुरू करिये क्योंकि ऐसा लग रहा है कि रस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं गई. अगर आपको अगला चुनाव जीतना है तो इस ऐंठन का जाना अति आवश्यक है.

आपके ये अफसर घाट घाट का पानी पी चुके हैं, इनकी सामर्थ्य का आंकलन आप अभी भी नहीं कर पाए. ये मोदी जी जो छप्पन इंच कि छाती ठोककर विकास पे विकास करते जा रहे हैं, ये सब इन्ही अफसरों कि बदौलत है. अफसरों कि क्षमता तो मोदी जी गुजरात में ही समझ गए थे और दिल्ली में उनका बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं. अखिलेश बाबू अब आप अफसरों को नौकर समझना बंद करिये और मोदी जी से जाके ट्रेनिंग लीजिये कि "ब्यूरोक्रेसी मैनेजमेंट" क्या होता है. अगर आपको अगले १०-१५ साल बाद सत्ता में वापस आने का सौभाग्य प्राप्त हो तो मोदी जी के इस मंत्र का उपयोग ज़रूर करियेगा. हो सकता है कि आप भी कुछ काम करवाना सीख जाएँ. # Swacch Bharat Mission :-)

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